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आशाये

http://tramandustrendingcinema.blogspot.in/
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सुंदर कोमल एहसासो से,बीजो के कोटर खुलते है
अधखिले बीज मुस्कान लिए,दो अधरों से जब खिलते है
वो दो पंखुडिया जीवन की,कहती है हम भी जीवित है
हाँ बंद थे हम प्राचीरों में,रीतियों की लौह जंजीरों में
पर जब माटी में दफन हुए,हर बंधन से हम मुक्त हुए
कोमल सपनो को हवा मिली,हर दुविधा से हम दूर हुए
नवजीवन हमने अपनाया,फिर सपना नया हमे आया
फिर आशाओं के मेले है ,कब हमने कहा अकेले है
फल फूल खिलेंगे जीवन में ,एक अर्थ मिलेगा जीवन को
हम भी देंगे शीतल छाया ,महकेंगे प्रेम दरीचों में
अपनी भी होगी एक जगह ,अपना भी होगा हमसाया

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